السلام علیکم

राह-ए-खुदा पर चलके देश भर के ग़ुमराह मुसलमानों को राहे नेक़ पर लाने की क़वायद करने वाले जमात-ए-तबलीग़ में सफ़र कर रहे दाइयों को अगर ट्रेन, बस स्टैंड या एयरपोर्ट पर या मुक़ामी मस्जिदों के इर्दगिर्द कोई मुसीबत पेश आए तो तत्काल मुस्लिम मददगाह के ख़िदमतगारो से राफ़ता क़ायम करे!!





भोपाल


कुल आबादी:उनतीस लाख &मुस्लिम आबादी: छः लाख बयालिस हज़ार छः सो चालीस

तबलीगी इज्तिमा की जगह तबदील नही होगी
भोपाल

भोपाल 
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को यह शर्फ हासिल है कि शहर में पिछले 70 सालों से यहां इस्लामी शआइर को आम करने या दूसरे लफ़्ज़ों में क़ुरआन के पैगाम और उस्वा ऐ हसना यानी रसूल अल्लाह की दीनी दावती तालीमात को आम करने और इस्लाह-ए-मिल्लत व उम्मत के लिए सालाना तबलीगी इज्तिमा मुनाकिद हो रहा है और मुल्क और बेरुंन-ए-मुल्क अल्लाह के दींन की सब्ज़वारी का अहम काम अंजाम दिया जा रहा है।
हर कोई जानता है कि जगह की तंगी के सबब शहर की ताजुल मसाजिद से मुंतकिल हो कर तक़रीबन बारह सालों से यह इज्तिमा यहां से 10 किलो मीटर दूर बैरसिया रोड पर इंटखेड़ी घास पूरा में मुनाकिद हो रहा है लेकिन अहले ईमान की बढ़ती शिरकत और इज्तिमा गाह और आसपास रिहायशी मकानात और दुकानों के लिए प्लाटिंग किये जाने से एक बार फिर जगह  तंग या कम पड़ने लगी है और इज्तिमा को कहीँ दीगर जगह मुंतकिल करने की चर्चा और अफवाहों का दौर चल पड़ा है और कुछ अनासिर दानिस्ता इस बात को हवा दे रहे हैं लेकिन आर्गनाइज़रों से बातचीत में यह बात साफ़ की गई है कि किसी भी हालत में इज्तिमा की जगह तब्दील नही की जायेगी  अल्लाह करीम तमाम रुकावटों और दिक़्क़तों को दूर करेगा।
 इस नई सूरत ऐ हाल में पिछले दिनों मेने यह तजवीज़ पेश की थी कि मिल्लत के साहिब ऐ माल हज़रात अपनी इस्तिताअत के मुताबिक़ एक प्लाट से एक एकड़ या जितनी भी मुमकिन हो ज़मीन खरीद कर उसे बाक़ायदा तहरीरी तोर से इज्तिमा के लिए रिज़र्व करदें। और इज्तिमा के बाद उसे अपने खेती बागबानी के इस्तेमाल में ले सकें।


इस तजवीज़ को आम मुसलमानो के साथ ही इज्तिमा इन्तेज़ामिया कमेटी के बहुत से जिम्मेदारों ने पसन्द किया और कुछ लोगों ने इस पर गोर व् खोज भी शुरू किया है।
इस बीच कुछ लोगों ने इज्तिमा को कहीँ दीगर जगह मुंतकिल करने और सरकार से ज़मीन दिए जाने  की चर्चा शुरू करदी है। 
अव्वल तो इज्तिमा के लिए सरकार के ज़रिये इतनी बड़ी ज़मीन का अलाटमेंट किया जाना मुमकिन नही है और न ही किसी मज़हबी इदारे को ज़मीन दी गई है।
दूसरे यह कि शहर के क़रीब तमाम सहुलियात  के साथ  200 एकड़ रकबा दस्तयाब नही है ।लिहाज़ा दानिश्वरान ऐ मिल्लत का मानना है कि इज्तिमा गाह के आसपास के मिल्ली ज़मींदार थोड़ी सी क़ुरबानी के साथ आगे भी अपनी फराख दिली जारी रखें या नुकसान की भरपाई का कोई तरीक़ा मिल बेठ कर तलाश करें और साहिब ऐ माल हज़रात टुकड़ों में ज़मीन खरीद कर मुस्तक़बिल की दिक़्क़त को दूर करने में मुआवनत करें ।अल्लाह बेहतर बदल देने वाला है।
इसी बीच इज्तिमा इन्तेज़ामिया कमेटी के जिम्मेदारों ने यह इशारा दिया है कि तमाम दिक़्क़तों के बावजूद इज्तिमा इंशाअल्लाह अपनी तय जगह पर ही होता रहेगा और उसे कहीँ दीगर जगह मुंतकिल करना मुनासिब भी नही है। अल्लाह का काम है अल्लाह ही आसनियां पैदा करेगा।
मेरी एक बार फिर एहले मिल्लत से गुज़ारिश है कि इज्तिमा के बेहतर इनिकाद और मुतक़बिल की ज़रूरत व मसलेहत को मेहसूस करते हुए सनजीदगी से गौर व फ़िक्र के साथ अमली इक़दामात यक़ीनी करने पर तवज्जोह फरमायें।

 



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