السلام علیکم

माशाअल्लाह अगर आप मुल्क़-ए-हिन्दुस्तां में डॉक्टर हो तो भारतीय ग़रीब जरूरतमंद बीमार मुस्लिमों को आप के हुनर की सख़्त ज़रूरत है. महरबानी इलाज़गाह में मेम्बरशिप लेकर बीमारों के लिए राहत का ज़रिया बने!!

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बंगलौर


ग़रीब बिमारो को बेंगलुरु में मिलेगी मुफ़्त राहत! मुस्लिम डॉक्टरों ने मिलकर शुरू किया गरीबो के लिए हॉस्पिटल!!
बंगलौर

बेंगलुरु – अल्लाह ने इंसानो की सेहत की देख रेख के लिए डॉक्टर हकीम वेद बनाए है खुदा के बाद ज़मीन पर इंसान के लिये जान बचाने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो डॉक्टर होते हैं!! जो। अपने इलाज़ से हर एक बीमार शख्स को बचाना चाहते हैं।डॉकटरी के पेशे पर किसी ना किसी बात को लेकर सवालिया निशान उठते रहते हैं लेकिन बेंगलुरु में डॉक्टर फिर इंसानियत की मिसाल बनकर सामने आए है। कर्नाटक की राजधानी बंगलुरू में कुछ डॉक्टर जिन्होनें  इंसानियत की ज़िंदा मिसाल क़ायम है।

इन डॉक्टरों मे बताया है कि “यही इबादत यही दीन ओ ईमां, के काम आये दुनिया में इंसा के इंसान।” बेंगलूर के कुछ मुसलमान डॉक्टरों ने इंसानियत की मिसाल पेश की है। उन्होंने अपने निजी पैसे से गरीब लोगों की सेवा के लिए एक अस्पताल स्थापित किया है। इस अस्पताल की शुरुआत बैंगलोर के शिवाजी नगर क्षेत्र में हुई है।

राजधानी के बड़े अस्पतालों में कार्यरत सात मुस्लिम डॉक्टरों ने मिलकर एक अस्पताल की स्थापना की है। इसका उद्देश्य गरीब मोहताज लोगों को चिकित्सा प्रदान करना है। पता चला है कि, इस उद्देश्य के तहत इकट्ठा हुए डॉक्टरों की एक टीम ने अपनी कमाई से कुछ  कुछ पैसा इकट्ठा किया और कुछ दिनों के अंदर ही एक पुराने अस्पताल को खरीदकर उसकी जगह एक नये अस्पताल की बुनियाद रखी।

मेट्रो अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर आरिफउल्लाह कुरेशी ने बताया कि एक करोड़ की लागस से तैयार किए गए अस्पताल में सामान्य बीमारियों के साथ साथ, प्रसूति, हृदय, और दूसरी बीमारियों का इलाज भी किया जायेगा। उन्होंने बताया कि वे मुनासिब फीस लेकर देश के सबसे गरीब और मध्यम वर्ग तक पहुंचना चाहते हैं। डॉक्टर आरिफउल्लाह ने बताया कि इस अस्पताल में विभिन्न रोगों के विशेषज्ञ अपनी सेवाएं देंगे  जो मुस्लिम जरूरतमंद है और इलाज़ पर पेशा खर्च करने में सक्षम नहीं है उनका खास ख्याल रखा जायेगा क्यों की ये हॉस्पिटल ही इसी मक़सद से खुला है। 
अगर सभी शहरों में जरूरतमंदो कि इसी तरह से फिक्रे ओडली जाए तो सायद ही कोई बीमार की इलाज़ की कमी की वजह से जान जा सके।






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