السلام علیکم

माशाअल्लाह अगर आप मुल्क़-ए-हिन्दुस्तां में डॉक्टर हो तो भारतीय ग़रीब जरूरतमंद बीमार मुस्लिमों को आप के हुनर की सख़्त ज़रूरत है. महरबानी इलाज़गाह में मेम्बरशिप लेकर बीमारों के लिए राहत का ज़रिया बने!!

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नमाज़ पर रिसर्च कर अमेरिका ने साबित किया रोज़ाना नमाज़ पढ़ने से कमर और जोड़ो का दर्द खत्म हो जाता है!
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मुस्लिम मददगाह फाइल फोटो

अक़सर सेहत के सबब साबित होते है सजदों के रास्ते!

  !!!जिस्मानी रूहानी हिफाज़त के क़याम व रुकू के लुफ़्त एक नमाज़ी  से बेहतर और कौन महसूस क्र सकता है!!!

महशर नहीं हुए कबसे मौला की बारगाह में क़याम व रुकू तेरे  !!!

सेहत का ख्याल न खुद की धुंध आदमी है तू या है कोई अंधा अधूरा!!

और किस बात पर करेगा तू एहतबार एक न एक दिन जायेगा हार!!!

जब देंगे धोका तुझ को या तू खुद से धोका खा जाए जिस्म थक जाए

और न कोई रास्ता नज़र आये तो होना न तू उदास हर गली में मौजूद है

एक इबादतखाना तू बस वहां जाना रूह से लेकर रक्त तक के मर्ज़ों के मरहम न मिल गए तो कहना !!!!!!!!!

 

 

 

वाशिंगटन: नमाज़ से फर्ज ही अदा नहीं होता बल्कि कई मर्ज भी दूर हो जाते है जिसकी दलीलें 14  सो साल पहले नबी-ए-करीम (सल्ल) ने दी थी आज उसकी गवाही विज्ञानं भी दे रहा है। हाल ही एक शोध में खुलासा हुआ है कि मुस्लिम धर्म में जिस तरह से नमाज पढ़ी जाती है, उससे शरीर के निचले हिस्से में कमर दर्द की समस्या दूर हो जाती है। शोध के मुताबिक रोज नमाज के दौरान जिस तरह के शारीरिक क्रियाएं की जाती है, वे जोड़ों के दर्द के लिए फायदेमंद होती है।हाल ही इस शोध से जुड़े पेपर्स इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंडस्ट्रियल एंड सिस्टम इंजीनियरिंग में प्रकाशित हुए हैं।

गौरतलब है कि दुनिया भर में करीब 1.6 बिलियम मुस्लिम प्रतिदिन पांच बार नमाज अदा करते हैं। इस दौरान वे सऊदी अरब के मक्का स्थित पवित्र काबा की दिशा में अपने घुटनों पर बैठकर नमाज अदा करते हैं। साथ ही गर्दन, कमर, घुटनों का मूवमेंट भी करते हैं। इस्लाम धर्म की पाक पुस्तक कुरअान में हर मुस्लिम के लिए ऐसा पांच बार करना फ़र्ज़ बताया गया है। इस शोध के प्रमुख मोहम्मद खसवनेह के साथ उनके दो साथी भी हैं। शोध की रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिदिन ऐसा करने से हृदय रोग के साथ ही मोटापे का खतरा भी नहीं रहता है। शोध के प्रमुख मोहम्मद खसवनेह ने कहा कि नमाज के दौरान की जाने वाली कुछ क्रियाएं योग व शारीरिक अभ्यास कमर दर्द में हितकारी होती है। हालांकि शोध में इस्लामिक नमाज पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है लेकिन ईसाई और यहूदी धर्म की प्रार्थना का भी उल्लेख किया गया है जहाँ कुछ समान क्रियांए पाई जाती हैं।

शारीरिक स्वास्थ्य जीवनशैली और धार्मिक कारकों से प्रभावित है। इसके अलावा अध्ययन से संकेत मिलता है कि शारीरिक और स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने के बारे में नमाज और सतर्कता के बीच एक मजबूत सहयोग होता है। नमाज शारीरिक तनाव और चिंता को ख़त्म कर सकती है, जबकि शोध यह भी इंगित करता है कि नमाज को न्यूरो-मस्कुल्कोकेलेटल रोग के प्रभावी नैदानिक उपचार माना जा सकता है।






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