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यासिर अराफत, मौलाना सालिम के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर झूठे मैसज वायरल करने वाले बहुत जल्द होंगे पुलिस गिरफ़्त में!
भोपाल

यासिर अराफत ,मौलाना सालिम के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर झूठे मैसज वायरल करने वाले बहुत जल्द होंगे पुलिस गिरफ़्त में!

इस्लामिक हुलिया और शैतानी हरक़त!!
हो रही है फिर भी बरक़त!!!

भोपाल नवाबी नगरी में मज़हबी ओहदों के लालची एक दूसरे के पद हतियाने के लिए खेल रहे हैं षड्यंत्र षड्यंत्र!.....

अनम इब्राहिम 

मज़हब ए इस्लाम इंसानी जीवन को साफ-सुथरा बनाने के लिए पवित्रता के लाखो दाव पैतरे सिखाता है लेकिन अफ़सोस वो इंसानियत और अच्छी नियत की बाते अब सिर्फ क़िताबों में ही सिमट कर मेहफ़ूज़ रह गई है बाकी रफ़्ता-रफ़्ता आम मुसलमानो के साथ साथ मज़हब के ठेकेदारों के भी दिल काले होते जा रहे है इसका अच्छा ख़ासा उधारन आज फिर सोशल मीडिया पर नज़र आया मध्य्प्रदेश मसाजिद कमेटी के सचिव यासीर अराफात और जामिया इस्लामिया अरबिया मस्ज़िद तर्जुमे वाली के मौलाना मोहम्मद सालिम के ख़िलाफ़ उर्दू भाषा मे एक आपत्तिजनक झूठा मैसेज वायरल हुआ!

 

जानिए उर्दू ज़ुबानी के इस मैसेज में क्या लिखा है??

भोपाल मसाजिद कमेटी के मोहतमीम यासिर अराफात और जामिया इसलामिया अरबिया मस्जिद तर्जुमे वाली के हदीस के उस्ताद मौलाना मोहम्मद आबिद साहब के छोटे बेटे मौलाना सालिम साहब ने एक लड़की को झूठा झांसा देकर मसाजिद कमेटी के मोहतमीम यासिर अराफात से निकाह करवा दिया हैं। और निकाह पढ़ाने वाले जामिया इसलामिया अरबिया मस्जिद तर्जुमे वाली की शाखों के जिम्मेदार मौलाना सालिम साहब हैं। अभी लड़की वालों को खबर तक नही हो पाई थी, लड़की के घर वालो को बाद में पता चला कि उनकी लड़की को मौलाना सालिम साहब ने झूठा झांसा देकर मसाजिद कमेटी के मोहतमीम जनाब यासिर आराफात से निकाह करवा दिया हैं तब लड़की वालों ने यासिर आराफात की थाने में रिपोर्ट दर्ज करादी हैं। सूत्रों के मुताबिक छान बीन जारी हैं और मौलाना सालिम साहब पर भी मुकदमा दर्ज हो सकता हैं।

 

ये है [जामिया इस्लामिया अरेबिया]
मशहूर मदरसे के नाम से संचालित होने वाला ग्रुप जिसमे
मज़हब-ए-इस्लाम की डिग्रियां सनद लेकर बैठे उलेमा ए दीन मौज़ूद है
और इसी ग्रुप में ग़ीबत झूट और अपने ही कलमे वाले भाईयों को बदनाम करने का प्रचार हो रहा है।
अगर ये इस्लाम के जिम्मेदारों के शोशल मीडिया पर हाल है तो भला आम मुसलमानो के क्या होंगे !
 
ये है दूसरा  [इस्लाह ए हक़ ग्रुप] माशाअल्लाह ग्रुप का नाम देखिए
हक़ की इस्लाह और काम देखिए नाहक़ और गेरमज़हबी!
इस ग्रुप में भी उलेमा ए दीन मौज़ूद है आलिम हाफ़िज़ कारी व मस्जिदों के इमाम और मदरसो के नाज़ीम भी 
हैरत व अफ़सोस की बात तो ये  है कि इस ग्रुप में झूठा मैसेज फेंकने वाला नाम भी एक मुफ़्ती साहब का है
आप मैसेज में देख सकते है मुफ़्ती इरशाद खान लिखा हुआ है ! जब रहबर ही गुमराह हो चुके
हो तो फिर उम्मत तो गुनाओ की गहराइयों में डूब ही जाएगी।
 
इस तीसरे  ग्रुप का नाम देखिए [ एहले ईमान ] है और काम देखिए उलेमाओं और कौम के दूसरे जुम्मेदारों के  इमान पर तोहमतें मढ़के सार्वजानिक रुसवाई का सर्टीफिकेट बांट रहे है ।
क्या एहले ईमान ऐसे होते है? मुख में अल्लाह अल्लाह  और बगल में ग़ीबत की  छुरी।
क्या तो मज़हबी खूबियों के नाम के सहारे शैतान मिजाज़ क़िरदार खुद को शरीफ़ शाबित करने में लगे हुए है!!!
 
 

ये था उर्दू भाषा का झूठा मैसज अफ़सोस जिसे उलेमा मुफ़्ती कारी भी बिना तहक़ीक़ के आगे बढ़ाते चले जा रहे है!!!

क्या मज़हब-ए-इस्लाम से इन उलमाए दीन ने ये तक नही सीखा की बिना तहक़ीक़ के किसी के दामन पर दाग़ लगाना गुनाह है? अगर एक आम दिन से दूर रहने वाला मुस्लिम इस तरह की हरकत करे तो उसे ज़ाहिल कह सकते हो और जब मुफ़्ती उलेमा भी इस काम को अंज़ाम देने लगे तो उन्हें आप क्या कहोगे?? बहरहाल इस नामुराद मामले में कितनी सच्चाई है? कौन है इसके पीछे? क्या मक़सद है झूठे मैसेज करने वाले का? चलिए इस से जुड़े कुछ और दिलचस्प पहलुओं पर निगाह दौड़ाते हैं।

शहर-ए-क़ाज़ी को भी नही छोड़ा मज़हबी दलालो ने !!

हाल ही में भोपाल शहर-ए-क़ाज़ी (धर्म गुरु) मुश्ताक अली नदवी सहाब की तबियत ख़राब हो गई थी जिनकी सेहत शिफा की दुआओं की जगह क़ौम के चंद ठेकेदार आला अफ़सरो से खुद क़ाज़ी बनने की सिफ़ारिशे लगाने लगे थे जैसे क़ाज़ी सहाब बीमार नही हुए हो बल्कि उनका इन्तेक़ाल हो गया हो! एक मोहतरम ने तो इस्लामिक दलाली में मानो जैसे पीएचडी करली है जब अफ़सर ने कहा कि क़ाज़ी साहब अभी बीमार है और आप क़ाज़ी किसी और को बनाना चाहते हो जिस पर कौम के कमीने मिजाज़ ज़िम्मेदार ने चापलुसी के लहज़े में कहा कि जब तक क़ाज़ी सहाब बीमार है तब तक के लिए ही बनवा दीजिए! अब आप ही बताइए भला ये मज़हब के नाम पर दलाली नही तो और क्या है?

यासीर और मौलाना सालिम कही मज़हबी सियासत के शिकार तो नही हो रहे?

मौलाना सालिम और यासीर अराफात की बड़ती मज़हबी लोक प्रियता भी झूठे सोशल मेसेज की वजह हो सकती हैं। दरहसल मज़हब के नाम पर सियासत के सहारे अपना वजूद बनाने व खुद के घर चलाने के काम करने वाले कई षडयंत्रकारी मुस्लिम नेताओं की भी दुकानदारी को कुछ वक्त से खतरा महसूस हो रहा था। सूत्रों की माने तो शहर-ए-काज़ी साहब की मुक़म्मल टीम व यासीर अराफात और कई उलेमा की मौजूदगी में मज़हब के नाम पर सियासत करने वाले नेताओं की दुकाने चल नही पा रही थी। एक वजह यह भी हो सकती हैं परंतू कई इस्लामिक जानकारों का मानना हैं कि इतनी नीच गिरी हुई और घटिया हरकत किसी मुक़ामी उलेमा के द्वारा की गई हैं।

क्या इस्लाम के ओहदेधारक मुक़ामी उलेमा, मुफ़्ती हो सकते हैं षड्यंत्र के साज़िशकर्ता ?

सोशल मीडिया पर आम हुआ एक ऐसी अदब की भाषा से लिखे हुए लफ़्ज़ों का सार्वजनिक इज्ज़त के बलात्कार का मामला जिसने मुक़ामि मज़हब के तमाम ठेकेदारों को भी इल्ज़ाम के कटघरे में ला खड़ा कर दिया है ! दरअसल मज़हबी मुहाफिज़ों की छवि पर बदनामी के दाग़ लगाने वाले एक भी नाम  किसी और मुख़ालिफ़ तपके के नही है बल्कि बदनामी के  इल्ज़ाम पर  ग़ीबत की मोहर लगाने वाले कुछ  शख़्स मज़हबी खेमों से निकले हुए ज्ञानी उलेमा मुफ़्ती है व कुछ सियासी मंडी में आड़ेतिये के क़िरदार को निभाने वाले मज़हब के सौदाग़रों  के गुर्गे हैं जिन्होंने इस वारदात को अंज़ाम देकर धार्मिकता के पवित्र दफ़्तर के नेक क़िरदारों को बदनामी की बरसाती उड़ाने की कोशिश की है लिहाज़ा मामला अब पुलिसिया पैरविह तक पैर पसार चूका है!!

भोपाल डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी ने दिलाया एहतबार: जल्द होगी शिनाख़्त अज्ञात मैसजकर्ता की !!!

फ़रियादी मौलाना सालिम व यासीर अराफ़ात ने आज भोपाल डीआईजी से मुलाक़ात कर मनघड़त झूठे मैसेजकर्ता के विरुध शिकायत कर कार्यवाही की मांग की है जिस शिकायत पर डीआईजी भोपाल ने एहतबार दिलाया की जल्द ही आरोपी की तलाश कर करवाई की जाएगी !! कहीं ऐसा न हो की  मामले की मूम्फ़ली फूटे और चोर चारपाई के निचे छुपा हुआ अपना ही कोई बहार आए !!! वैसे फरियादी इस मामले पर जल्द कार्रवाही को लेकर सीएम से करेंगे चर्चा !!

 

 

               

 

[आइये देखते हैं मज़हब से जुड़े लोगों के नज़रिये क्या हैं इस मामले पर ]

आज बातरीख 20/02/18 को एक मेसेज भोपाल के कुछ व्हाट्सप्प ग्रुप्स में गर्दिश कर रहा था जिसका
मकसद एक नेक सालेह इंसान जो शरई उमूर के दफ्तर के ज़िम्मेदार हे और एक अलीम ए दीन की बेज़्ज़ती करना
उनके खिलाफ झूठी अफ़वाह फैलाना था अफ़सोस की बात ये हैं की ये काम कोई और नहीं पढ़े लिखे समझदार लोग कर रहे है 
जिनका शुमार उलेमा में किया जाता हैं उनकी जानिब से ये मेसेज आया इस मेसेज से सिर्फ किसी की तहक़ीर ही नहीं हुई
बल्कि एक ऐसा अमल हुआ जिसे शरीयत ने हराम करार दिया हैं  मुसलमान को तकलीफ पहुँचाना हराम हैं
शर्म आती हैं ऐसे लोगो पर जो ये तालीम देते हैं की अच्छाई का हुकुम दो और बुराई से रोको
इस लिए के इस मेसेज में उन लोगो का अमल ये हैं की उन्होंने तोहमत लगाईं हैं मैं 
उन लोगो को मशवरा देता हूँ की साहिबे मुआमला से माफ़ी मांगे और अल्लाह से तोबा करे, 
अल्लाह तआला तोहमत जैसे बड़े गुनाह से हम सबकी हिफाज़त फरमाए।
क़ाज़ी सयैद अनस अली नदवी
सदर आल इंडिया उलेमा बोर्ड (मप्र)
 
 
मुझे इस बात का इल्म ही नही की कोई ऐसा मैसेज चल रहा है ये कहकर नयाब क़ाज़ी
ने मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया हलाकि हज़रत को फ़रियादी पक्ष ने कल ही
मामले से रूबरू करवा दिया था
न्याब क़ाज़ी भोपाल
सैयद बाबर हुसैन नदवी
 
ख़बर को और भी आगे पड़ने के लिए कीजिये मुस्लिम मददगाह के फालोअप का इंतज़ार 
 





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