السلام علیکم

भारतीय ज़ियारतगाहो में आराम फरमा रहे अल्लाह के वलियों से सभी मज़हब के लोगो की आस्था जुड़ी हुई है। हमे चाहिए कि तमाम वलियों की मज़ारो पर हो रहे फर्जीवाड़े से खबरों के ज़रिए पर्दा उठाकर दरगाहों के दामनो पर दाग़ लगने से बचाए!! अपनी मुक़ामी जियारतगाहो की जानकारी खबरों की शक़्ल में मुस्लिम मददगाह को भेजे!!

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||||बेपनाह बिके जशन-ए-उर्स के मौक़े पर कॉन्डम||||

दरगाहों की ज़ियारत के स्वालियों के सवाल का क्या है कोई जवाब ???


उत्तरप्रदेश (एटा): ज़माने भर की दरगाहों के दर्ज़ में अव्वल आस्थाओं के मज़ारि स्थानो में यह दरगाह ख़ान गाहे बरकातिया का सालाना उर्स भी शामिल है। यहां पर देश विदेश से हजारों जायरीन जियारत के लिए आते हैं और अपनी मुरादों से झोलियों को भरकर भी ले जाते हैं। अकीदतमंदों के लिए आस्था का यह सराए ज़ख़्मो पर मरहम का काम करता है, यह मज़ारे शरीफ एक पवित्र धार्मिकता से जुड़ा स्थान हैं जहां खानगाहे बरकातिया दरगाह में एक ही गुम्बद के नीचे कई आला दर्जे के बुजुर्ग तशरीफ़ फरमाते हैं, यहां बाबा के दीवाने खाली हिंदुस्तान भर से ही नही बल्कि पूरी दुनिया के मुल्कों से हिज़रत करके आते हैं लिहाज़ा खानकाहे बरकातिया को हर तर्ज पर आला मुकाम हासिल है। 

हर साल के जैसे इस साल भी उर्स-ए-कासमी के मुबारक मौक़े पर हिन्दुस्तान के अलावा विदेशियों के भी सैलानियों का जमावड़ा लगा बहरहाल इस बार जब स्थानीय नुमाइंदों ने उर्स के गुज़र जाने के बाद इर्दगिर्द के स्थानीय कारोबारियों की बिक्री का जायज़ा लिया तो पता चला की सबसे ज़्यादा कोंडम की बिक्री हुई है। मेडिकल के अलावा पान, किराने व अन्य रोज़मर्रा की सामाग्री वाले दुकानदारों के पास से कोंडम की खपत उर्स के दौरान हुई है। कईयों का मानना है की रात में नाईट फॉल की गंदगी से कपड़ों को बचाने के लिए कोंडम का इस्तेमाल किया जाता है  तो वहीं कई स्थानीय लोगो का मानना है कि उर्स मुबारक़ के मौक़े का कई विदेशी व स्थानीय सैलानी दुरुपयोग करते है और धार्मिक स्थल को बदनाम करते है। 






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