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यतीम, बेसहारों को खाना परोस बनाई मुस्लिम मददगाह के जवानों ने ईद!!!
भोपाल

यतीम, बेसहारों को खाना परोस बनाई मुस्लिम मददगाह के जवानों ने ईद!!!

मुस्लिम मददगाह

मुस्लिम मददगाह के खिदमतगार जवानों ने यतीम मासूम बच्चों को खाना खिला बाटी ईद, रक्षाबंधन 15 अगस्त की खुशियाँ !!!

 

« अनम इब्राहिम »
9425990668

भोपाल: मददगार से बढ़कर कोई यार नही और भूखे पेट से बडा कोई ग़द्दार नही। जब नन्हे निर्धन ग़रीब बच्चों के पेट में भूख की आग धड़कती है तो यकीन जानो मज़बूर बाप के कलेजे मुंह को आ जाते है और अगर सर पर बाप का साया भी ना रहे तो भला उन यतीम बच्चों को मोहब्बत के लुकमे कौन परोसे? बस हर ज़रूरतमन्दों की जायज़ मदद करने की मंशा से मुस्लिम मददगाह वज़ूद में आई है। हर ग़रीब बस्तीयों में मुस्लिम मददगाह के खिदमतगार जवान सर्वे कर जायज़ा लेते रहे है। हाल ही में ईद के दूसरे दिन जब मुस्लिम मददगाह के खिदमतगार अरबाज़ खान व रोहित अहिरवार का निर्धन बस्ती में जाना हुआ जहां के झौपड़ीनुमा कच्चे मकानों के बाहर कई  मासूम नन्हे बच्चे भूख से जूझते नज़र आ रहे थे तभी अचानक मुफ़लिसों की इस बस्ती में पानीपुरी के ठेले का गुज़र हुआ जिसे देख तमाम बच्चो की खवाईसाते मचल गई और एक नन्ही सी बच्ची ने अपनी मज़बूर माँ का दामन पकड़ लिया फिर पानीपुरी के ठेले के ज़ानिब नाज़ुक उंगली से इशारा कर कहा 'अम्मी मुझे ये खाना है', मज़बूर माँ ने उस बच्ची को सीने से लगा तसल्ली देते हुए कहा मेरी परी बाद में दिला दूंगी अभी तो दलिया खाया था ना तूने, बस इतना ही कहना था कि बच्ची ने मासूमियत से कहा अम्मी दलिया तो सुबह खाया था मुझे अभी भूंख लग रही है।


ये सब माज़रा देख रहा अरबाज़ पता नही खुद में ही कहीं खो सा गया था तभी अचानक रोहित ने अरबाज़ के बाजुओं पर हाथ रख हिलाया अरे कहां खो गए अरबाज़ भाई? चलो इस बस्ती का सर्वे तो मुक़म्मल हो गया। शाम को जब दोनों मेरे पास पहुँचे और सारा किस्सा सूना कर कहा सर हमे उस बस्ती के यतीम व बेसहारा बच्चों को खाना खिलाना है। हम तीनों उसी फ़िक्र में अभी आपसी चर्चा ही कर रहे थे कि तभी मेरे मोबाईल पर एक अंजान नम्बर से फ़ोन आया, फ़ोन उठाने पर उधर से एक औरत ने सलाम करते हुए पूछा क्या ये मुस्लिम मददगाह का नम्बर? मैने कहा जी हां बोलिए .. उस औरत ने कहा आप का नम्बर गुगल से मिला था हम ग़रीब बच्चो को खाना खिलाना चाहतें हैं , इतना सुनना था कि मुझे समझने में देर नही लगी कि ये अल्लाह की मदद लेकर आई हुई औरत की शक़्ल में फ़रिशता है, फिर क्या था दूसरे ही दिन मग़रिब की नमाज़ के बाद मुस्लिम मददगाह के खिदमतगार जवानों ने निर्धन बस्ती के बच्चों को मस्ज़िद के अतराफ़ में इकट्ठा करना शुरू कर दिया और वो नेक दिल औरत अपने शौहर के साथ वहां खाने के 70 डब्बे लेकर पहुँच गई। अरबाज़ अपने हाथों से बच्चों को खाना तक़सीम करता चला गया तभी अचानक उस बच्ची का चेहरा अरबाज़ की आंखों के सामने आ गया जो अपनी माँ से खाने के लिए ज़िद कर रही थी। अरबाज़ ने उसे खाने के पैकेट खोलकर दिए और वो बच्ची वहीं बैठकर खाने लगी। खैर, खाने के सभी बॉक्स बच्चो में तक़सीम हो गए और साथ आए खिदमतगार जवानों ने अरबाज़ को चलने का कहा तो अरबाज़ ने हल्की आवाज़ में जवाब देते हुए कहा अभी नही रुको देखो उन खाना खाकर ख़ुश होते खेलतें बच्चों को हज़रत उमर फ़ारुख (रज़ि) का एक अमल जिंदा हो रहा है। हम जब यहां सर्वे करने आए थे तब यहीं बच्चे भूंख की शिद्दत से तर उदास होके बिलखते दिख रहे थे। अब इन्ही बच्चो को आज खाना ख़िलाकर खेलते खुश होते देखने के मंज़र को भला कैसे गवा दिया जाए, बस अरबाज़ का इतना कहना था कि रोहित ने उसे अपने गले से लगा लिया दोनों की आंखों को खुशी के पानी ने नम कर दिया मानो जैसे कोई क़िला फ़तेह कर लिया हो।

इबरत....
दोस्तो इन बच्चों के लिए ये तो था बस एक वक़्त के खाने का इंतेज़ाम जो एक नेक दिल औरत ने कर दिया, बरसात का मौसम है ग़रीब, निर्धन बस्तियों में नाजाने ऐसे कितने मज़बूर मज़दूर परिवार है जो रोज कुँआ खोद अपने पेट की प्यास बुझाते हैं। 
हमे चाहिए की अपने क़ीमती वक़्त को निकाल ग़रीबी से घिरी हुई ज़िन्दगियों का जायज़ा ले और अपनी हैसियत के हिसाब से मदद करें .....

ये जो मैरे अल्लाह है ना उनका जाफ़ता है क़ानून है कि वो निर्धन बेसहारों मज़बूरो के लिए आसमां से थाली नही उतारते वो तो ज़रूरतमन्दों की मदद के लिए आप जैसे नेकदिल लोगो के दिलो का इस्तेमाल करते हैं जिन्हें अज़बाब बना मोहताजों की दहलीज़ पर मदद लेकर पहुँचा देते हैं। अगर हम अल्लाह के दिल में जगह चाहतें हैं उसके ख़ास बनना चाहतें हैं तो मोहताजों को अपने दिलो मे जगह दे देनी चाहिए और हर मज़बूर बीमार निर्धन की मदद के लिए सेवक बन ख़िदमतगारी का चोला ओढ़ लेना चाहिए....

मददगाह के खिदमतगार मेहबूब खान.लईक खान, रोहित अहिरवार, राम मालवीय, शाहरुख खान, अशफाक खा.इस्तियाक, खा.अरबाज खान को अनम इब्राहिम का सलाम!!



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