السلام علیکم

मदरसे मज़हब-ए-ईस्लाम के वो कारख़ाने है जिस में अल्लाह के हुक्म और नबी (सल्ल)के तरीकों का इल्म क़ुरआन और हदीस की रौशनी में तलबाओं के दिलो में उतरता है। तमाम मदरसों को अल्लाह आप जैसे ईमान वालो की मदद व नुसरत से ही चलाता है। जरूरतमंद मदरसे मदद लेने के लिए और जरूरतमंद मदरसो की मदद करने के लिए राफ़ता क़ायम करे!!!

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भोपाल


कुल आबादी:उनतीस लाख &मुस्लिम आबादी: छः लाख बयालिस हज़ार छः सो चालीस

अल्लाह के नबी के घर कहे जाने वाले मदरसे बन रहे हैं मोहताज़गी के मरकज़ !!
भोपाल

भोपाल नवाबो की नगरी में ज़्यादातर मियां मालामाल है या यूं कहें गोदड़ी ओढ़कर घी खा रहे हैं और आलीशान घरेलू इन्तेज़ामो के साथ जन बच्चो से मज़े में ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं लेकिन इसी भोपाल में कई अल्लाह के नबी (सल्ल) के घर कहे जाने वाले मदरसे मौताज़गी के शिखर पर पहुँच चुके हैं और मदरसो की जरूरतें नाज़ीम और तलबाओं कि जान लेने पर उतारू हो चुकी है उन ही मोहताज़ खस्ताहाल मदरसो में से एक मदरसे की आंखों देखी कारगुज़ारी आप की खिदमत में पेश है !

भोपाल मैदा मिल शाही इमारतों के बीच बनी अर्जुन नगर झुग्गी बस्ती वैसे ही जरूरतमन्दों में शरीक होती है लेकिन इसी झुग्गी बस्ती के बीचों बीच एक मदरसा अरबिया जियाउल उलुम मौज़ूद है जहां तआम क़याम (खाने सोनेवाले) वाले 35 तलबा इस्लामिक तालीम हासिल करते हैं।

जिनके अखराजात अल्लाह रब्बुल इज्ज़त आप जैसे ईमान वालो की मदद व नुसरत से ही पूरा कर रहे हैं: 

1. तलबाओं के लिए मदरसे में पानी का इंतेज़ाम नही है न कोई बोर है न इस्तेक़ामत से रोज आने वाला नल

2. तलबाओं के लिए पक्क़ा गुसलखाना नही है बच्चे खुले में नहाते हैं! 

3. तलबाओं छात्रों के लिए बेतूलखला नही बना मदरसे के बच्चे खुले में शौच करने जाते हैं!!

4. तलबाओं के लिए वज़ीरखाने का इंतजाम भी नही है बच्चे गंदे पत्थरों पर बैठकर बर्तनों से वजू बनाते हैं 

5. पाकी आधा ईमान है लेकिन फिर भी इस मदरसे के बच्चो के लिबाज़ व जिस्म गंदे सुंदे नज़र आते महज़ पानी व दूसरे अखराजातो की कमी की वजह से!!!

6. अफ़सोस का मक़ाम है कि ये ग़रीब बेसहारा 35 तलबा स्कूली तालिमो से महरूम है कोई भी बच्चा स्कूल नही जाता!!

मुक़ामी मददगार मुस्लिमो को चाहिए कि इस मदरसे का मौके पर पहुँच कर जायज़ा ले कर मदद की पहल करे अल्लाह बेहत्तर बदला देने वाला है!!

 

मदरसा अरबिया जियाउल उलुम की मदद व नुसरत करने वाले ख़िदमतगार मुस्लिम मददगाह से भी राफ़ता कायम कर सकते है।






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