السلام علیکم

मदरसे मज़हब-ए-ईस्लाम के वो कारख़ाने है जिस में अल्लाह के हुक्म और नबी (सल्ल)के तरीकों का इल्म क़ुरआन और हदीस की रौशनी में तलबाओं के दिलो में उतरता है। तमाम मदरसों को अल्लाह आप जैसे ईमान वालो की मदद व नुसरत से ही चलाता है। जरूरतमंद मदरसे मदद लेने के लिए और जरूरतमंद मदरसो की मदद करने के लिए राफ़ता क़ायम करे!!!

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यतीम के सर पर सहारे की मंशा से सफ़क़त का हाथ फेर कर देखो!!
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यतीमों पर रहम मोहब्बत व शफ़क़त करना व उस के साथ हुस्ने सुलूक करना बेहद अज़्रो सबाब और नेकियों को बटौरना  है हत्ता कि उन के सर पर शफ़क़त व महब्बत से हाथ फेरने से भी नेकियां मिलती है, लिहाज़ा अगर कोई मानेऐ शरई न हो तो किसी यतीम के सर पर शफ़क़त से हाथ फेरिये कि हाथ के निचे जितने बाल आएँगे हर बाल के बदले एक एक नेकी मिलेगी।
 फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो अल्लाह की रज़ा के लिये किसी यतीम के सर पर हाथ फेरेगा तो जिस जिस बाल पर से उस का हाथ गुज़रेगा इस के इवज़ हाथ फेरने वाले के लिये नेकियां लिखी जाएंगी और जो अपने ज़ेरे किफालत यतीम के साथ अच्छा सुलूक करेगा में और वो जन्नत में इस तरह होंगे। फिर आप ने अपनी शहादत और बिच वाली उँगलियों को जुदा कर दिया।

मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुनिया से, 
गर होजाए यक़ीन के.....
अल्लाह सबसे बड़ा है, और वो हमें हर वक़्त देख रहा है...

यारो बेशहरा यतीमो को गले लगाओ उनकी जायज़ जरूरतों को पूरा करो, उनकी निगेहबानी करो अल्लाह के नज़दीक ये आप के आमाल बहोत क़ीमती है और बेसहाराओं पर रहम करना उनकी हाजतो को पूरा करना आखरत में ही नही दुनिया मे भी खुद को हिफ़ाजत के घेरे में लेलेने जैसा है ! तू कमज़ोर के काम आ कर देख अल्लाह तेरे काम न बनादे तो कहना।






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