मुस्लिम बस्तियां


रायसेन

रायसेन जिले का पत्रकार अपनी माँ की ज़िंदगी बचाने के लिए दरदर भटक के मांग रहा है मदद !!
रायसेन

रायसेन जिले का पत्रकार अपनी माँ की ज़िंदगी बचाने के लिए दरदर भटक के मांग रहा है मदद !!

कोई है माइ का लाल जो बचाले एक माँ की ज़िन्दगी को??

भोपाल से मुस्लिम मददग़ाह का दरख्वाश्तनामा :

इन दिनों शाम सुबह तो अल्लाह की रहमतों के साए रमज़ान की शक़्ल में दुनिया भर में छाए हुए है हर तरफ़ हर दर-ओ-दीवारो के भीतर भारी नेमतों का दाख़िला भी हो चुका है। एक बड़े तपके के पास माल तो पहले ही था अब इस मुबारक़ महीने में अल्लाह ने उनके माल पर बरकतों की मोहर ठोक दी है जिस माल में और भी इज़ाफ़ा होगा अगर माल का मालिक उसे ज़रूरतमंद मोहताजों में तक़सीम करें वरना दावा है वो माल जो इस मुबारक़ महीने में भी मुफ़लिसों पर ख़र्च न किया जाए उसे बर्बादी की दीमक लगने से कोई नही बचा सकता। ज़्यादा पैसा गर बक्शीश व रहमतों के महीने में मोहताज़गो की हाजतो में नही लगाया गया तो लाज़मी है सालभर उस माल को माँ बहन बीवी बच्चों के इलाज़ पर लगाना पड़ेगा।

 

दोस्तों रायसेन जिले के पत्रकार साजिद खान पिछले तीन सालों से भोपाल के चिकित्सालय में अपनी माँ का इलाज करवा रहे हैं लम्बे इलाज़ के बाद भी माँ की तबियत में तो सुधार नही आया बल्कि साज़िद का अपनी माँ का इलाज़ करवाते करवाते जेब ख़ाली हो गई  गैंगरीन के मर्ज़ में मुब्तिला माँ के दोनों पैरों को तो  डॉक्टरों ने काट दिया उसके बाद भी ज़हर रफ्तारफ्ता जिस्म में बढ़ रहा है डॉक्टरों का कहना है कि अब पैरों को औऱ भी ऊपर से काटना पड़ेगा तब जाकर मरीज की जान बचाई जा सकती है बहरहाल साज़िद को अपनी माँ के इलाज़ के लिए रक़म की ज़रूरत है शासकीय दफ़्तरों में भी साजिद को मदद की जगह उदासीनता हाथ लगी है।

 

आप हमदर्द हज़रात से ग़ुज़ारिश है कि हॉस्पिटल में राफ़ता क़ायम कर इलाज का ख़र्च उठाने में मदद करें।

 






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