रामपुर


हमें मौत के बारे में बताओ!!
रामपुर


       हमें मौत के बारे में बताओ!!

 

मोहम्मद मतीन खान 

बिलासपुर रामपुर {उत्तर प्रदेश} 


मौत का राज़,प्यारे इस्लामी भाइयों !मौत के झटको और नज़अ की सखि़तयो का इल्म होने के बावुजूद अफसोस हम इस दुनिया में इतमीनान की ज़िन्दगी गुज़ार रहे है,आह!हमारी हर सांस मौत की तरफ गोया एक क़दम और हमारे शबो रोज़ मौत की जानिब गोया एक एक मील बड रहे है!चाहे कोई ज़िन्दगी की कितनी भी बहारे लूटने में कामयाब हो जाए मगर उस मौत की खज़ा से दो चार होना ही पड़ेगा!कोई चाहे कितना ही एशो इशरत की ज़िन्दगी गुज़ारे मगर मौत तमाम तर लज़्ज़तो को ख़त्म करके रहेगी!कोई ख्वाह कितना ही अहलो अयाल और दोस्त व अह्बाब की रोनक़ो में दिलशाद होले मगर मौत उसे जुदाई का गम देकर रहेगी ,आह!कितने मग़रुर आबरुदार मौत के हाथो ज़लील ख्वार हो गए,न जाने कितने ज़ालिम हुकमरानो को मौत ने उनके बुलन्द महल्लात से निकालकर कब्र की काल कोठड़ी में डाल दिया!न जाने कैसे कैसे अफसरों को मौत ने कोठियों की वुसअतो से उठा कर कब्र की तंगियो में पहुंचा दिया,कितने ही वज़ीरो को बंगलो की चकाचौंद रौशनीयो से कब्र की तारीकियो में मुन्तक़िल कर दिया!आह!मौत ही के सबब बहुत से दूल्हे मचलते अरमानो के साथ आरास्ता व पैरास्ता हजलय आरुसी में दाखिल होने के बजाय कीड़े मकोडो से उभरती तंग तारीक कब्रो में चले गए,न जाने कितने ही नौजवान शादी की मसर्रतो के ज़रिये अपनी जवानी की बहारे देखने से क़ब्ल ही मौत का शिकार होकर व्हशत नाक कब्रो में जा पहुंचे !

बे वफ़ा दुनिया पे मत कर एह्तेबार
तू अचानक मौत का होगा शिकार
मौत आई पहलवान भी चल दिए
खूब सूरत नौं जवां भी चल दिए
चल दिए दुन्या से सब शाहो गदा
कोई भी दुन्या में कब बाक़ी रहा!






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