चलो इस रमज़ान अपने माल को ज़रूरतमन्दों में तक़सीम करदें!!!

सदक़ा

चलो इस रमज़ान अपने माल को ज़रूरतमन्दों में तक़सीम करदें!!!

  ―अनम इब्राहिम―
 ≈मुस्लिम मददगाह≈ 

मज़हबी कमाल हमारी ज़िन्दगी में ये नही है सहाब की पोटलियों में दीनार,अशरफी सोनेचांदी व नोटों को बंद कर के अलमारियों में कैद करदे और फिर क़ीबला रुख कर के ज़िक्र व इबादतों में मसरूफ़ हो जाए  असल मज़हबी कमाल तो ये है कि कोई शख़्स अल्लाह पर ईमान लाये,क़ियामत के दिन पर,फ़रिश्तों पर और अल्लाह की किताबो पर उसके दुनिया मे भेजे हुए सभी पैग़म्बरों पर भी ईमान लाये फिर बेइंतेहा जायज़ माल कमाए और अल्लाह की मोहब्बत में अपने माल को दुसरो पर  ख़र्च कर दे उन्हें दे ख़ासकर अपने रिश्तेदारों को,यतीमो को, गैरतमंद ग़रीबो को मोहताज़ मुसाफ़िरों को, लाचारगी में सवाल करने वाले ज़रूरतमन्दों को और कैदियों व गुलामो की गर्दन छुड़ाने में ख़र्च करदे  साथ मे 
वक़्त पर नमाज़ क़ायम करता हो ज़कात अदा करता हो इस से बढ़कर और भला कौनसा मज़हबी कमाल होगा?

दोस्तो क़ायनात के रब के सब के सब रहम-ओ-क़रम से अगर राफ्ता क़ायम करना हो क़ुदरत की नेमतों की बारिशो में भीगकर खुद को तर करना  हो तो इस महीने अपने माल को दूसरों पर दिल खोल के  ख़र्च कर दो 

दुनियावी क़ामयाबी माल का बटोरना 
नही उसका इस्तेमाल करना है!!!


है कोई ऐसा शख़्स जो वक़्त-ए-उम्र गुज़र जाने के बाद बाक़ी हो और फ़ना ना हुआ हो  ?????

है कोई ऐसी भी मालदारी जो ख़र्चदारी नुक्सानदारी से टकराई ना हो?????

है किसी के पास ऐसी इज्जत जो ज़िल्लत व रुसवाइयों की शिकार ना हुई हो?????

है किसी के पास ऐसा इल्म जिसमे ज़ाहिल का दखल ना हो?????

 

दोस्तो इस मुबारक़ महीने में अल्लाह अपने हर एक बन्दों की नेकियों में इज़ाफ़ा कर देता है उसका वादा है तुम आम दिनों में एक खर्च करोगे तो वो बदले में 10 देगा ओर माह-ए-रमज़ान की तो बात ही अलग है आप एक ख़र्च करोगे अल्लाह बदले में 70 गुना ज़्यादा देंगे 
आप अपने गुनाहों से तौबा कर के तो देखिए वो माफ़ कर देगा ....
आप उसके पास आने का इरादा कीजिए वो आप के पास आने का मन बना लेगा आप अल्लाह की तरफ़ एक क़दम बढ़ाइये वो दस क़दम आप की तरफ़ बड़ जाएगा 
आप उसकी तरफ़ चल कर आइये वो आप की तरफ़ दौड़कर आएगा 
ब शर्ते की शुरुवात ए बन्दे तुझे करनी पड़ेगी...

नाचीज़ को दुआएं इफ़्तार में याद रखे






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