आज़ाद हिन्दुस्तां तुझ को राष्ट्रवादी मुल्ला का सलाम

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!!!आज़ाद हिन्दुस्तां तुझ को राष्ट्रवादी मुल्ला का सलाम!!!

अनम_इब्राहिम

मैं हूँ मुसलमा हिन्दुस्तां है मेरी जां!!

मेरे सज़दे तुझ पर, मेरा मुसल्ला तुझ पर, मेरी नमाज़ तुझ पर, तुझ पर ही होती है मेरी अज़ान!!!!

ए मेरे मादरे वतन, ए चमन ए मेरे मन, मौला जब तक है जान, तुझ पर दिल कुर्बान। दोस्तो दर्द-ए दिल है मेरा, मगर है तो हिंदुस्तानी,!

बचपन यहीं गुज़रा लो अब आ गई यहीं जवानी,,!!

इबादतों में हर रोज सरजमीं-ए-हिन्दुस्तां को सज़दे में चूमता हूँ,!

फिर क्यों अपने ही घर मे बेघर,बन बेगाने सा घूमता हूँ,,!!

लोग कहते है ग़द्दार तो खूब कहते रहे मुझको,!

में तो दीवाना हूँ हिन्द का, सर पर बांधे कफ़न अमन ढूंढता हूँ,,!!

ए अनम वतन की राह पर जब बड़े तेरे क़दम,!

तो है तुझे क़सम,की मेरी वफ़ा पर शक ना करना,!!

वक़्त आने पर एक दिन मैं भी मुल्क़ के काम आऊंगा,!

देखना एक दिन में भी गुल-ए-हिन्दुस्तां को अपने लहू से नहलाऊंगा,,!!

शहीदों ने मुल्क़-ए-मोहब्बत में सर क़लम करवा शहादत तो पा ही ली थी,!

देखना मैं भी एक दिन देश के लिए दुश्मन का सर काट ज़रूर लाऊंगा,,!!

शहिद ना हो सका तो कोई बात ही नही है यारा,! कम से कम देश का वीर तो कहलाऊंगा,!!

है ये कैसी नफ़रत मुझसे वतन का वारिस नही, नाही मैं वतन का वज़ीर हुं,,!

मैं तो बस एक हिंदुस्तानी सूफ़ियाना फ़कीर हूँ।,,!!!

मेरा ही है लाल किला जिसपर राष्ट्र तिरंगा लहराता है,!

मेरा ही तो है ताजमहल जिसपर मोहब्बत को खुद पर ताओ आता है ,,!! यारो तिरंगे का में भी तो दिल से दीवाना हूँ,,!

मुल्क़ की मोहब्बत से लबालब झलकता पैमाना हुं।,,!!

मुझसे ना अब कोई मज़हबी तक़रार कर,!

थोड़ा ही सहीं पर मुझपे एहतबार कर ,,!!

यारा सांप नही हूँ साथ देने वाला तेरा साथी हुं,!

वतन का अगर है तू दिया तो सुनले मैं भी तो बाती हूँ ,,!!

ये घर है गर तेरा हिन्दुस्तां तो मेरा भी तो है,!

मैं थोड़ी ना पड़ोसी देश से आया हुआ बाराती हूँ,!!

बस क़सूर मेरा है यहां तो थोड़ा सा तेरा भी तो है,!

मैं थोड़ी ना एक हाथ से बजती हुई कोई ताली हुं,,!!

देख शिखवे गिलों से जलता है शहर मेरा रहरह कर,!

वो लोग और थे मैं तो खुद शकीली भीड़ से पीटा हुआ बेक़सूर फ़रियादी हुँ,,!!

जण,गण,मन ए वतन मॉब लीनचिंग से सुरक्षित नही बदन,!

भीड़ देखे तो भाग जा मर गया तो नही दे पाएगा कथन,,!!

आज़ाद मुल्क़ में आपसी मोहब्बत लिबास पहन पर्दा करती है,!

क्यों मज़हबी नफ़रत करने वालो के नंगे है बदन,,!!

बरखुरदार सारे जहां से अच्छा है जब वतन मेरा,!

जातपात के ज़हरीले जंगलियों का है क्यों यहां है बसेरा,,!!

तिलक, टोपी और पग जब सर उठाके तिरंगा लहराते है,!

तब जाकर ही तो हिन्दुस्तां की जान कहलाते है,,!!

जब आपसी मोहब्बत अमन एकता और फैलता है भाईचारा,!

तब ही कहलाता है सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा,,!!






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