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नमाज के जरिए अपने गुनाहों की माफी तलब करना और दोबारा गुनाह नही करने का इरादा करना ईमान में इज़ाफ़ा पैदा करता हैं!!
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दुआ

हर रोज इस दिखावे की दुनिया मे हम इंसानों से जाने-अंजाने में बड़े छोटे गुनाह हो जाते हैं। कई बार जिसका हमे खुद ही ईल्म नही हो पाता है लेकिन अल्लाहरब्बुल इज्ज़त ने हम कमज़ोर इंसानों के ईमान की हिफाजत और गुनाहों से तौबा के लिए कई रहमतों के रास्ते खोल के रखे है जिन रहमतों के रास्तो का हमे भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए!!

 

अबुमुस्लिम रजि. कहते हैं कि मैं एक मर्तबा हजरत अबूउमामा रजि. की खिदमत में हाजिर हुआ। वो उस वक़्त मस्जिद में तशरीफ़ फ़रमाए हुए थे। मैंने अर्ज किया कि मुझसे एक साहब ने आप की तरफ से यह हदीस नकल की है कि आपने नबी अकरम सल्लललाहू अलैहि व सल्लम से यह इरशाद सुना है की जो शख्स अच्छी तरह वुजू करेे और फिर फर्ज नमाज पढ़े तो हक तआला जल्ले शानुहू उस दिन के वह तमाम गुनाह उसके माफ़ कर देते है, जो चलने से हुए हों और वह गुनाह भी जिन को उसके हाथों ने किया हो, औेर वह गुनाह भी जो उसके कानों से सादिर हुए हों और वह गुनाह जिनको उसने आंखों से किया हो और वह गुनाह जो उसके दिल में पैदा हुए हों, सबको माफ फर्मा देते हैं। हजरत अबूउमामा रजि. ने फर्माया कि मैंने यह मज्मून नबी अकरम सल्लललाहू अलैहि व सल्लम से कई दफा ​सुना है।

माशाअल्लाह दोस्तों अल्लाह कितना रहीम है कि हमारी खताकारियों को माफ़ कर देता लेकिन हमें भी हर तरह के गुनाहों से परहेज़ करना चाहिए और हर हाल में यकसुई के साथ ज़िक्र-ए-खुदा करते रहना चाहिए और हरहाल में फ़र्ज़ नमाज़ों की पाबंदियां करनी चाहिये और नमाज़ हर हाल में बुराइयों से व गुनाहों से रोकती ही रहती हैं!






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