मुम्बई


मां बाप इन्तेहाँ की हद तक तकलीफ बर्दाश्त करना!!
मुम्बई
हक़-ए-वालदैन

मां बाप इन्तेहाँ की हद तक  तकलीफ बर्दाश्त करना!!

जी हां माँ बाप का तक़लीफ़ बर्दास्त करना हर मोड़ पर क्यों है इसलिए कि उन्होंने तुम्हारे लिए कैसी कैसी तकलीफे बर्दाश्त कि तुम्हारे लिए कितनी रातें जाग जाग कर गुजारी तुम जरा बीमार हुए और वह बेचारे घंटो तुम्हारी खिदमत करने में लगे रहे तुम जरा तकलीफ में पढ़े और वो बेचारे तुम्हारी इस तकलीफ को दूर करने के लिए खुद हजारों तकलीफे उठाने को तैयार हो गए। उन्होंने तुम्हारे आराम के लिए कभी दिन को दिन और रात को रात ना समझा उन्होंने तुम्हें खुश रखने के लिए खुद कैसे कैसे रंज और गम बर्दाश्त किये। तुम्हारी जरा सी परेशानी उन्हें कितना परेशान कर देती है तुम्हारे चेहरे की हल्की सी परेशानी उनकी तमाम खुशियों को गमों में तब्दील कर के रख देती है तुम्हारी आंखों से गिरा हुआ एक आंसू भी उनके दिल पर ना जाने कितनी चिंगारियां गिरा देता है। यारो वक़्त रहते अपने माँ बाप की ख़िदमत में कमी न करो पता नही ज़िन्दगी कब किस को हम से जुदा करदे या फिर हम खुद ही सब से जुदा हो जाएं






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