दुनिया भर में इस्लाम के मानने वालों की मौज़ूदा तादाद
  • अफगानिस्तान 100%
  • अलबानिया 75%
  • अलजेरिया 99%
  • अन्गोला 25%
  • अज्रेन्टीना 2%
  • आस्टेलिया 2.09%
  • अजरबौजान 93%
  • बेहरीन 100%
  • बाग्लादेश 85%
  • भुटान 5%
  • ब्राजील 0.6%
  • बम्रा 10%
  • कनाडा 1.48%
  • सैन्ट्रल अफ्रीकन 55%
  • चाइना 11%
  • इगेपट Egypt 94%
  • इथोपिय 65%
  • फिजी 11%
  • फ्रास 7%
  • गोरगीय Georgia 11%
  • जर्मनी 3.4%
  • ग्रीसG1.5%
  • गुइने 95%
  • गुयाना 15%
  • हांगकांग 1%
  • भारत 14%
  • इन्डोनेशिया 95%
  • इरान 99%
  • इराक 97%
  • इसराइल 14%
  • इटली 1%
  • जापान 1%
  • जोरडन 95%
  • केन्या 30%
  • कुवैत 89%
  • लेबनान 70%
  • लिबिया 100%
  • मालदीव 100%
  • मलेशिया 52%
  • मायुरिट्युस 19.5%
  • मायोटे 99%
  • निगेरिय 75%
  • ओमान 100%
  • पाकिस्तान 97%
  • फिलीपींस 14%
  • कतर 100%
  • रोमानिया 20%
  • रुसिया 18%
  • सऊदी अरब 100%
  • सिंगापुर 17%
  • सोमालिया 100%
  • श्री लका 9%
  • सुडान 85%
  • सेरिय 90%
  • तजाकिस्तान 85%
  • तन्जानिया 65%
  • थाइलैड 14%
  • तुनीसीय 98%
  • तुक्री 99.8%
  • युएइ 96%
  • युके 2.5%
  • युएसए 3.75%
  • उजेबेकिस्तान 88%


मुहम्मद (सल्ल.) के मौजूदा वक़्त से आज तक पवित्र काबे की चाबी उस्मान के परिवार के पास ही रही है!!

मुहम्मद (सल्ल.) के मौजूदा वक़्त से आज तक पवित्र काबे की चाबी उस्मान के परिवार के पास ही रही है!!

मुस्लिम मददगाह की ख़बर मक्का से........

माशाअल्लाह काबा अल्लाह का घर है और तमाम आलम के मुस्लिमो में इसका बहोत ज़्यादा महत्व है। पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) ने काबा की चाबी को सहाबी हज़रत उस्मान बिन तलहा को सौंप दी थी। बहुत सारे लोग पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) के पास आए और चाबी की सुरक्षा में रुचि दिखाई लेकिन उन्होंने उस्मान बिन तलहा को सौंपी। पवित्र काबा के दरवाजे की चाबी आज भी उस्मान बिन तलहा  के परिवार के पास है। काबे की चाबी मोहर्रम के महीने में एक बार और एक बार शाबान के पहले दिन में केवल दो बार इस्तेमाल की जाती है।

उस्मान बिन तलहा के परिवार को अब सदिन के रूप में जाना जाता है यह नाम किसी का भी हकदार है जो काबा की चाबी का रक्षक है। सदिन मूल रूप से अल-शाबी परिवार से ताअल्लुक़ रखते हैं जो इस्लामी काल के अस्तित्व के लिए लंबे समय से पता लगा सकते हैं। पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) जब जीवित थे तब उनके साथी अब्दुल्ला बिन अब्बास जो ज़मज़म के प्रभारी भी थे, उन्होंने पैगंबर से कहा कि उन्हें काबा के महत्वपूर्ण रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए। पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) ने नम्रता से इनकार कर दिया और अपने साथी उस्मान बिन तलहा को इस ज़िम्मेदारी का हकदार बताया।गौरतलब है कि पहले काबा हर हफ्ते सोमवार और गुरुवार को खोला जाता था। लेकिन अब ग़ुस्ल देने के लिए वर्ष में केवल दो बार खोला जाता है। इसको ग़ुस्ल देना एक पवित्र कार्य है और इसमें इस्लामिक देशों के राजदूत, इस्लामी अधिकारियों के साथ अन्य मेहमान भी शामिल होते हैं। इस दौरान काबा को ज़मज़म, गुलाब के पानी के साथ ग़ुस्ल दिया जाता है। अल्लाह रब्बुल इज्ज़त मुझ गुनहगार को भी काबे का दीदार कराए

दुआओं का तलबगार 

मुस्लिम मददगाह परिवार 






Comments

Faizaa Abdul Hujim 2018-01-28 10:30:51

mashallah very nice article



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